अध्यात्म का विषय वस्तु चेतन (सजीव) है और विज्ञान का विषय वस्तु
अचेतन (निर्जीव) है. विषय वस्तु विपरीत होने के कारण जब दोनो का तुलना किया जाता है
तो परस्पर विरोधी परिणाम प्राप्त होते है.
परन्तु दोनो का उदेस्य मानव जीवन को सुखमय बनाना है.
परन्तु दोनो का उदेस्य मानव जीवन को सुखमय बनाना है.
अध्यात्म
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विज्ञान
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1
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अध्यात्म का कार्य क्षेत्र शरीर के अन्दर होता
है
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विज्ञान का कार्य क्षेत्र शरीर
के बाहर होता है
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2
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अध्यात्म की अंतिम सीमा ईस्वर प्राप्ति मानी गयी है.
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विज्ञान की
सीमा अनंत कहा जाता है
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3
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अध्यात्म मे सभी प्रकार के परिणाम के लिए लगभग एक ही
प्रक्रिया है.
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विज्ञान मे अलग अलग परिणाम प्राप्त
करने के लिए हर बार एक नये सिद्धान्त और प्रयोग की आवस्यकता होती है.
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4
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अध्यात्म चाहता है कि विज्ञान को अपनी
सीमा समझनी चाहिए और जो उसकी पहुँच से बाहर है, उसमें दखल नहीं देना चाहिए।
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विज्ञान चाहता है कि अध्यात्मिकता को
प्रामाणिकता की कसौटी पर कसा जाना और खरा सिद्ध होना आवश्यक है,
तभी उसको मान्यता मिलेगी।
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5
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अध्यात्म के प्रतेक उत्पाद मे मानवीय
चेतना स्वम सहभागी होती है.
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विज्ञान का प्रतेक उत्पाद मानवीय चेतना
के चिंतन का परिणाम होता है.
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6
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अध्यात्म मे एक व्यक्ति का अनुभव कोई
दूसरा वयक्ति उपयोग नही कर सकता है.
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विज्ञान मे किसी एक व्यक्ति का अनुभव कोई दूसरा व्यक्ति आसानी से उपयोग कर सकता
है.
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7
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अध्यात्मिक ग्रंथ, सृष्टि की उत्पति अव्यक्त प्रकृति से बताते
है और सृष्टि को माया या मिथ्या कहते है जैसे
क- यह सारा संसार मेरी माया से उत्पन्न है। इसमें अनेकों प्रकार के चराचर जीव हैं। वे सभी मुझे प्रिय हैं, क्योंकि सभी मेरे उत्पन्न किए हुए हैं।(श्रीरामचरितमानस उत्तरकाण्ड). ख- हे अर्जुन !मेरी अध्यक्षता एवं निर्देशन में ये मेरी माया चराचर (जड़-चेतन) सहित सब जगत को रचती है. (श्रीमदभागवत गीता). |
बिग बंग सिद्धान्त मे विज्ञान यह सिद्ध करता है की ब्रह्मांड
की उत्पति उर्जा (गुरुत्विय सिन्गुलरीटी)
से हुई है,परंतु विज्ञान सृष्टि को माया या मिथ्या कहने मे संकोच करता है
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